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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 14)




अचानक वहां पुनः तेज प्रकाश उत्पन्न हुआ, यह टकराव पहले से भी भयंकर था। जिस ओर से यह आँधी आयी हुई थी उधर भयंकर शोर सुनाई दे रहा था जैसे हाथियों का विशाल झुंड गांव को रौंदते हुए इधर ही रही हों। तीनो लड़कियों ने अपने कानों को बंद कर लिया।

अचानक हुए इस टकराव से उस स्थान को केंद्र बनाकर, हवाएं भंवर की भांति उत्पन्न होकर चारों ओर तीव्रता से फैली। जिस कारण नदी में प्रवाहित हो रहा पानी, नदी के मध्य से  दूसरे किनारे की ओर उछलने लगा, इस स्थान पर उत्पन्न हुए इस वायुवीय भंवर से वे वृक्ष पीछे की ओर गिर गए। सोना, पूजा और अलका सड़क की ओर भागने की कोशिश करने लगीं परन्तु इस टकराव से उत्पन्न हवाओं ने उन्हें नदी में फेंक दिया। नदी का पानी दूसरी ओर के किनारे पर चले जाने के कारण तीनो लड़कियां नदी के बीच बह रहे पानी में गिरती हैं। उनके घावों पर पानी पड़ते ही दर्द और बढ़ जाता है, उन दोनों की चीख निकल जाती है, परन्तु सोना अपने जबड़े को भींचकर दर्द को पीने की कोशिश कर रही थी।

"अहह.. ये क्या हो रहा है सोना?" किसी तरह टटोलते हुए सोना का हाथ पकड़कर पूजा पूछती है। उसको अपना हाथ पांव हिला पाना भी मुश्किल हो रहा था। अब तक टकराव से वायु में उत्पन्न भंवर समाप्त हो चुका था, जिससे नदी का पानी सामान्य रूप से बहने लगा था, तीनो लड़कियां किसी तरह दूसरे किनारे पर पहुँची।

"म..म.." इससे पहले सोना कुछ बोल पाती उसका मुँह खुला का खुला रह गया। अलका बही सोना के बाएं हाथ से चिपकी हुई थी, डर के मारे उससे बोला तक न जा रहा था, यह दृश्य देख उसकी रूह तक कांप गयी।

"तुम्हें यहां आने की गलती नही करनी चाहिए थी।" पेड़ फिर चर-चराहट के साथ खड़े होने लगे, उन पेड़ो के पीछे से शैतानी स्वर उभरा। दूसरी ओर सोना और उसकी सखियों के सामने जमीन से थोड़ा से ऊपर एक शैतानी व्यक्ति खड़ा था, जिसका सिर जल रहा था। उसके जल रहे चेहरे पर शैतानी मुस्कान और मुट्ठियां भिंची हुई थी।

"मुझे पता था तुम मुझसे दुबारा मिलकर खुश नही होगा वीर! पर तेरी खुशी की मुझे कोई परवाह नही।" डार्क लीडर शैतानी स्वर में बोला। तीनो लड़कियां अपने स्थान पर जड़ हो गईं थी, तीनो का दिमाग कुंद हो गया था, उन्हें ये समझ नही आ रहा था वे क्या करें! बस चुपचाप इस घने अंधेरे में उस जलती खोपड़ी को देखने के अतिरिक्त वे कुछ न कर सकीं, शैतानी स्वरों की गूंज ने उनके शरीर में सिहरन पैदा कर दी थी।

"तू पिछली बार भी मुँह की खाया था डार्क लीडर! इस बार भी यही होगा, वीर से जीतने का स्वप्न देखना छोड़ दे।" वीर गुर्राते हुए बोला। अचानक पेड़ बढ़ते हुए चलने लगे, पुष्पों की स्याह पड़ी डाल लम्बी होते हुए खूंखार रूप से फुफकार कर डार्क लीडर की ओर बढ़ी।

"न न न वीर! मैंने तुझसे ज्यादा भयानक रूप से विक्षिप्त कर लोगो को बहुत ही बेरहमी से मारा और उसका पूरा आनंद लिया है।" अचानक ही डार्क लीडर जोर जोर से हँसने लगा। वीर उसकी हँसी से झेंप गया, अचानक से कई विशाल पत्थर तेज गति से आये और उन पुष्पों की डालियों एवं वृक्षों को कुचलते हुए निकल गए। अपनी जीत देखते ही डार्क लीडर जोर का ठहाका लगाने लगा।

"तो तू अपनी शक्तियों का प्रयोग सीख ही गया डार्क लीडर!" वीर ने व्यंग्यात्मक कटाक्ष करते हुए कहा।

"काली शक्तियों ने तुझे जीवित वृक्ष, घास एवं बेलों को नियंत्रित करने की शक्ति दी तब मुझे भी चट्टानों-पत्थरों को नियंत्रित करने की शक्तियां मिली थी। तब यह बात मुझे ज्ञात नही थी इसलिए मैं सही से प्रयोग न कर सका था। परन्तु अब जब मैं इतने सालों से अपनी शक्तियों का निरन्तर अभ्यास कर रहा हूँ, ताकि जिस दिन तू मिले उसे तेरा अंतिम दिन बना दूं। अब मुझे मेरी शक्तियों पर पूरी तरह से नियंत्रण प्राप्त है।" अपने जलते हुए खोपड़ी के अधरों पर कुटिल मुस्कान भरकर वह बोला। उसकी इस शैतानी हँसी से उसके आग की चमक और बढ़ गयी।

"तू चाहें जो कुछ भी कर ले डार्क लीडर! चाहे जितने ही स्वप्न देख ले। मैं और मेरी सुपीरियर आर्मी तेरे हर मंसूबे पर पानी फेर देंगे।" वीर भड़कते हुए बोला, वह उन वृक्षो को खड़े करने की कोशिश किया पर डार्क लीडर के पत्थरों से कुचलें जाने के बाद वे उठ न सके।

"कह तो ऐसे रहा है जैसे कितना बड़ा समाज सेवक है तू! हाहाहा…." डार्क लीडर हँसते हुए कहता है। "तूने विस्तार को मुझसे छिपाया, उस बाढ़ का पता लगते ही मैं वहां गया फिर उसके बाद उसका कोई पता न चला क्योंकि वह तेरे किसी अदृश्य घेरे में था। मैंने लाख कोशिश की पर मेरी घटी हुई शक्तियां मुझे तेरे समक्ष आने की अनुमति नही दे रही थीं। फिर तूने विस्तार के माध्यम से नराक्ष को स्वतंत्र कराना चाहा, उसके बाद उसे मारना भूल गया? तूने तो उसकी स्मृतियों को लोप भी न कराया। तुम भूल गए कि विस्तार अंधेरे की कुंजी है, उसके साथ लार्ड ग्रेमन भी स्वतंत्र हुए, उनके पास अधिक शक्ति तो न थी परन्तु तुम्हारे नराक्ष की तरह वे कायर नही है, उन्होंने मुझे शक्तियां दी ताकि मैं तुमसे पहले डार्क फेयरीज़ को ढूंढ लूँ। तुम आये तो सही जगह परन्तु विस्तार में उलझे होने के कारण तुम्हें डार्क फेयरीज़ का विचार तक न आया और यहीं हमारा फायदा हुआ। तुमने खूब अंधेरा फैलाकर विस्तार को ढूंढना चाहा पर वह तो मिला नही, लेकिन गांव वाले भागने को तैयार हो गए। तुम शायद यह भूल ही गये की मणिभद्र की धरती हमारे लिए क्या है इसलिए डार्क फेयरीज़ हासिल करने के लिए मैंने एक-एक व्यक्ति को बद से बदतर मौत दी। अब डार्क फेयरीज़ हमारी हैं और अब लार्ड ग्रेमन को आखिरी महाशक्ति चाहिए जो कि अब मेरी है क्योंकि उसे जागृत करने के लिए मैंने इस पूरे गांव को भी तबाह कर दिया है।" डार्क लीडर वीर को बातों में उलझाकर सोना की ओर बढ़ा उसका ध्यान उसकी सखियों की ओर बिल्कुल न था। सड़क के दूसरी ओर पत्थरों का झुंड तेज दौड़ लगाने को बिल्कुल तैयार था, जिसे डार्क लीडर अपने हाथों के इशारे से रोक रखा था। अचानक उसकी आँखें कौंधी' जल रही खोपड़ी की लपट कम हुई, उसके सामने बस वही दोनों लड़कियां थीं, सोना वहां पर नही थी।

"तुम्हें लगता है मैं तुम्हारी बातों में उलझ जाऊंगा?" वीर अट्ठहास करते हुए बोला।

"मैं तुम्हारे उस अनुचर को कैसे भूल सकता हूँ। तुम्हारी सुपीरियर आर्मी का धूर्त और मक्कार सेनानायक।" डार्क लीडर ने अपना सिर पीट लिया। यह याद आते ही उसका क्रोध और अधिक बढ़ने लगा।

"इस गांव को तबाह करके तुमने हमारा काम आसान कर दिया है। धन्यवाद लीडर!" कहता हुआ वीर हवा में ऊपर उठा। उसके हाथ हिले और जमीन से घास लंबी होकर घायल पड़ी पूजा के गले के आर पार चली गयी, उसके मुँह से गूँ-गूँ का स्वर निकला, अलका एक ओर भागना चाहती थी परन्तु एक घास ने उसे पकड़ रखा था, उसके जिस्म पर कई जगह घाव थे जहां बुरी तरह से रक्त रिस रहा था। डार्क लीडर उसे बचाने के लिए बढ़ा क्योंकि एक भी गांववासी के जीवित होने पर मैत्रा' नराक्ष को महाशक्ति नही दे सकती जिससे वह ग्रेमन का सामना कर सके, क्योंकि फिलहाल दोनों ही शक्तिहीन अवस्था में है। ग्रेमन के पास डार्क फेयरीज़ हैं परन्तु मैत्रा के न होने पर वह भी अपनी शक्तियों को उसे नही सौंप सकती।

डार्क लीडर आगे बढ़ा, हवा में खड़ा वीर मुस्कुराया, उसकी मुट्ठियां भींच गयी, सिर और पैर दोनों ओर से घासों ने जोर से खिंचा, अलका का मानवीय शरीर इस अमानवीय तनाव को न सह सका और जब तक डार्क लीडर उसके पास पहुंचा उसके कमर से दो टुकड़े हो चुके थे, वातावरण में अलका की जोर की चीख गूँजी। उसके खून के छींटे डार्क लीडर के चेहरे पर भी पड़े, वह क्रोध से भरकर चीख उठा। वहां मौजूद पत्थर उस जगह को रौंदते हुए तेजी से गुजर गए।

"मैं इस तरह से हार नही सकता लॉर्ड ग्रेमन! मैं हार नही सकता।" डार्क लीडर अब भी चीख रहा था, पत्थरों के टकराने के शोर में उसकी आवाज और भयानक लग रही थी।

◆◆◆

"वीर तुमसे खुश हुआ अमन! अब बस विस्तार का नामोनिशान मिटा दिया जाए फिर इन सबको भी नेस्तोनाबूद कर देंगे।" वीर खुशी जाहिर करते हुए अमन के कंधे को थपथपाया।

"यह शाबासी उस समय के लिए बचाकर रखो वीर!" अमन उसका हाथ उठाते हुए कहता है। "जब तक ये विस्तार है हमारा विस्तार सम्भव नही है।"

"तुम व्यर्थ परेशान न हो अमन! वह जब तक अपनी शक्तियों को हासिल करेगा उससे पहले ही हम उसे ढूंढकर समाप्त कर देंगे।" वीर विजयी मुस्कान लिए बोला।

"हाँ! परन्तु यदि हमारी स्मृतियों का लोप न हुआ होता तो हम डार्क फेयरीज़ को भी हासिल कर लेते।" अमन चिंता जाहिर करता हुआ बोला।

"हम जानते हैं तुम महान नराक्ष के विश्वास योग्य सेनानायक एवं भक्त हो अमन! हमें स्वामी को यह सुखद समाचार देना होगा कि हमने मैत्रा' को हासिल कर लिया है।" वीर अपनी शक्तियों से सोना के बेहोश पड़े शरीर को उठाता है।

"वह शांत नही बैठेगा वीर! तुम नही समझ रहे मैत्रा अभी हमारी कोई सहायता नही कर सकती।" अमन गंभीर स्वर में बोला।

"फिर तुम सुपीरियर आर्मी को और तेजी से संगठित करना आरम्भ कर दो अमन! हमें यह युद्ध फिर से दोतरफा लड़ना है।" वीर बोला। उसकी आँखें चमक रही थी, अगले ही पल वह हवा में अदृश्य हो गया।

"तुमने मेरे शरीर को नष्ट कर दिया था डार्क लीडर! तेरी वजह से मुझे इतने वर्षों तक अच्छाई की बू का सामना करना पड़ा अब तुम्हें पता चलेगा सुपीरियर लीडर क्या है!" अमन के होंठो पर शैतानी मुस्कान थिरक उठी, उसकी आँखे चमकी और वह भी हवा में अदृश्य हो गया।

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"मुझे मेरे प्रश्नों के उत्तर कौन देगा!" हिम की चट्टानों के नीचे दबे होने के बावजूद विस्तार अब भी 'ध्यान' की मुद्रा में ही था।

"मेरा यह अस्तित्व! ये मेरे साथ कईयों से जुड़ा हुआ लग रहा है। मेरे माता पिता एवं उस भयानक राक्षस का कथन यह सब इस ओर इंगित करता है कि मैं ही क्यों चुना गया पर मुझे कुछ याद क्यों नही आ रहा।" विस्तार स्वयं से लड़ रहा था, हिम की शिलाओं से ढके होने के बाद भी वह पसीने से लथपथ था।

"यदि मैंने विलम्ब किया तो वो राक्षस सारी दुनिया को हड़प जाएगा, उसे रोकने की कोशिश किया तो मुझे फिर नियंत्रित रखने का प्रयास करेगा। आखिर कोई तो मेरा मार्गदर्शक होगा।" विस्तार का हृदय व्यकुलित था, मन दोधारे संकट में फंसा हुआ था।

"माता-पिता ने कहा कि यही मेरी नियति है, मैं इससे भाग नही सकता परन्तु मुझे तो यही नही पता कि मैं क्या करूँ।" विस्तार उठा, उसकी आंखें भभक रही थी, हाथों से स्याहियां उड़ने लगी अगले ही क्षण वह हिम शिलाओं को बिखेरकर ऊपर आ गया।

"हे महाकाल! मैं विशुद्ध अंधेरे का प्राणी हूँ, मैं अंत चुना गया हूँ, परन्तु मुझे इस संसार के अंत को रोकना है। आप भी तो अंत हैं, मुझे उचित मार्गदर्शन दीजिये महाकाल!" विस्तार हाथ जोड़कर चीखने लगा। "मैंने अपने होशोहवास में कभी किसी निर्दोष को दर्द नही दिया, मैंने जो किया उसमें मेरी भूल नही थी, वो सब मेरे अपने थे। हे भोलेनाथ! इतने कठोर न बनो, यह सजा हर बार मुझे ही क्यों? मुझे मार्गदर्शन प्रदान करो महाकाल!" विस्तार करुण रुदन करने लगा। उसके आँखों से अश्रु हिम पर टपकने लगे।

"तुम स्वयं को पहचानों विस्तार!" एक स्वर गूँजा। विस्तार चौंक गया क्योंकि बोलने वाला कही आसपास दिखाई नही दे रहा था।

क्रमशः….


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4 Comments

Kaushalya Rani

25-Nov-2021 10:12 PM

Very nice

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Barsha🖤👑

25-Nov-2021 06:15 PM

आपकी कल्पना को मानना पड़ेगा सर

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Sangeeta

15-Jul-2021 02:19 PM

आकर्षक रोचक कहानी

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Bahut dhanyawad

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